भारतीय मीडिया में एलजीबीटीक्यूआईए+ व्यक्तियों से जुड़ी खबरों को ज़िम्मेदार और सटीकता से कवर करने के लिए शुरू हुआ इंक्लूसिव न्यूज़रूम
24 फरवरी 2023: भारत में ज्यादातर मुख्यधारा के न्यूज़रूम्स ने एलजीबीटीक्यूआईए+ लोगों की पहचान, कहानियों और मुद्दों को ऐतिहासिक रूप से काफी कम और अक्सर गलत तरह से रिपोर्ट किया है। न्यूज़ कवरेज में इन्हें अभी भी लगातार अनदेखा किया जा रहा है और इनके लिए अमानवीय भाषा का इस्तेमाल हो रहा है। अगर कुछ मौकों पर न्यूज़रूम्स ने एलजीबीटीक्यूआईए+ लोगों पर रिपोर्ट जारी भी की, तो उन कहानियों में प्राइड मार्च, कोर्ट के आदेश या क्वीर व्यक्तियों के खिलाफ खून-खराबा व अपराधों पर ज़्यादा ध्यान दिया गया। आंशिक रूप से ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि कई भाषाओं के न्यूज़रूम्स में विषमलैंगिक व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व बहुत ज़्यादा है, विशेष रूप से नेतृत्व की पदवियों पर । जो यह फैसला करते हैं कि क्या कवर किया जाएगा, किस तरह से किया जाएगा और किसकी आवाज़ को जनता के सामने लाया जाएगा । ये समावेशिता की कमी एलजीबीटीक्यूआईए+ लोगों के बारे में लिखी गई खराब और असंवेदनशील ख़बरों में साफ झलकती है।
भारतीय मीडिया इकोलॉजी को एलजीबीटीक्यूआईए+ व्यक्तियों की पहचानों के प्रति समावेशी और संवेदनशील बनने के लिए द न्यूज़ मिनट, क्वीर चेन्नई क्रॉनिकल्स और क्वीरबीट ने साथ आकर इनक्लूसिव न्यूज़रूम्स नाम का एक प्रॉजेक्ट शुरू किया है। इस प्रॉजेक्ट को गूगल न्यूज़ इनिशिएटिव का समर्थन भी मिला हुआ है।
द न्यूज़ मिनट की स्पेशल प्रॉजेक्ट्स और एक्सपेरिमेंट न्यूज़ की एडिटर रागमालिका कार्तिकेयन ने इस बारे में कहा, “इंक्लूसिव न्यूज़रूम, क्वीर व्यक्तियों द्वारा किया गया एक प्रयास है जो हमारे बारे में खून खराबा और तमाशे के दृश्टिकोण से की जाने वाली मीडिया रिपोर्टिंग मॉडल को बदलने की कोशिश करेगा। हम भारतीय न्यूज़ इकोलॉजी की मदद करेंगे कि वो हमारी कहानियां उस गरिमा के साथ बता पाएं, जिसके हम हकदार हैं। इस प्रॉजेक्ट पर काम करने वाले हम में से कई पत्रकार और लेखक हैं। हम में से हर एक ने अपने निजी और पेशेवर स्तर पर प्रयास किया है कि हम समाज में जो हमारे बारे में विचारधारा है उसको विस्तार दे सकें।इस प्रक्रिया में हम यह भी चाहेंगे कि न्यूज़रूम ऐसी जगह बनें, जहां क्वीर लोगों को पत्रकारों के रूप में गंभीरता से स्वीकारा जाए और उन्हें अपनी पहचान छिपाने की जरूरत महसूस न हो।”
साल 2023 के दौरान इंक्लूसिव न्यूज़रूम्स को कई चरणों में चलाया जाएगा। इस प्रक्रिया के दौरान सबसे पहले, द न्यूज़ मिनट और क्वीयर चेन्नई क्रॉनिकल्स द्वारा अंग्रेजी और तमिल भाषा में पहले से तैयार किए गए एलजीबीटीक्यूआईए+ शब्दों की शब्दावली को मलयालम, कन्नड़, हिंदी और मराठी भाषा में बदला जाएगा। इसके बाद प्रोजेक्ट अंग्रेजी, तमिल, मलयालम, कन्नड़, हिंदी और मराठी में एलजीबीटीक्यूआईए+ मीडिया रेफरेंस गाइड तैयार करेगा। ये शब्दकोष और गाइड, पत्रकारों और न्यूज़रूम्स को यह समझाने में मदद करेगी कि पत्रकारिता के नियमों का कड़ाई से पालन करते हुए एलजीबीटीक्यूआईए+ लोगों के बारे में पूरे सम्मान और सटीकता के साथ कैसे रिपोर्टिंग की जाए और लिखा जाए।
क्वीर चेन्नई क्रॉनिकल्स (क्यूसीसी) के सह संस्थापक मौली ने कहा, “क्वीर चेन्नई क्रॉनिकल्स के उद्देश्यों में से एक तमिल में एलजीबीटीक्यूआईए+ शब्दों को क्यूरेट करना रहा है। इस प्रयास के माध्यम से मीडिया में काम करने वालों को उन सही शब्दों का इस्तेमाल करने में मदद मिलेगी, जिसका उपयोग क्वीर समुदाय के लोग आपस में करते हैं, अपनी पहचान बताने के लिए और अपने आप को अभिव्यक्त करने के लिए। जब हमने एलजीबीटीक्यूआईए+ मीडिया रेफरेंस गाइड पर काम करना शुरू किया, तो यह सुनिश्चित किया कि यह गाइड उन इंटरसेक्शनल (अन्तरनुभागीय) पहचानों और समुदायों को ध्यान में रखें, जहां से हम सब आते हैं। यह गाइड हर उस भाषा में प्रासंगिक होगी, जिसमें इसे स्थानबद्ध (लोकलाइज) किया जाएगा। हम “क्यूरेट” और “स्थानीयकरण” (लोकलाइज) जैसे शब्दों का प्रयोग सावधनी से करके यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि गाइड या शब्दावली का केवल शाब्दिक अनुवाद न किया जाए। इसकी जगह उन शब्दों का प्रयोग किया जाए, जो क्वीर लोग अपने स्थानीय क्षेत्रों में करते हैं और जो सांस्कृतिक दृष्टिकोण से सही हों।
मीडिया को और ज्यादा समर्थन देने के लिए, इंक्लूसिव न्यूज़रूम्स देशभर के पत्रकारों, संपादकों और न्यूज़रूम्स के प्रमुख लोगों के लिए अलग-अलग भाषाओं में वर्कशॉप आयोजित करेगा, जिसमें ये प्रशिक्षण दिया जाएगा कि एलजीबीटीक्यूआईए+ लोगों को किस तरह से कवर किया जाए।
इसके साथ ही, यह प्रोजेक्ट एलजीबीटीक्यूआईए+ व्यक्तियों से जुड़े मुद्दों को कवर करने में रुचि रखने वाले पत्रकारों के लिए स्टोरी फेलोशिप भी शुरू करेगा और इन कहानियों को आगे बढ़ाने में फेलोज़ को सलाह देगा। क्वीरबीट के संस्थापक और संपादक अंकुर पालीवाल कहते हैं, “एलजीबीटीक्यूआईए+ शब्दकोष, मीडिया गाइड और ट्रेनिंग वर्कशॉप के ज़रिये न्यूज़रूम्स और पत्रकारों को ऐसी कहानियां बताने में मदद मिलेगी, जिन कहानियों में एलजीबीक्यूटीआईए+ लोग खुद को देख पाएं।” उन्होंने आगे कहा, “हमें आशा है कि ये कहानियां सार्वजनिक बातचीज का हिस्सा बनेंगी और क्वीर व्यक्तियों के प्रति सामाज में तंग नजरिए को खुलापन देंगी, और सामाज को प्रेरित करेंगी कि वो क्वीर लोगों के साथ समानता का व्यवहार करें।”
इस साझेदारी के बारे में:
द न्यूज़ मिनट (टीएनएम) दक्षिण भारत से दक्षिण भारत के बारे में रिपोर्टिंग पर केंद्रित एक समाचार संगठन है। साल 2014 से, टीएनएम देश में एलजीबीटीक्यूआईए+ मुद्दों पर संवेदनशीलता से रिपोर्टिंग करने में सबसे आगे रहा। संगठन के पास संपादकीय नेतृत्व के पद पर एक क्वीर पर्सन मौजूद है और एलजीबीटीक्यूआईए+ लोगों के जीवन और उनके अधिकारों के बारे में रिपोर्टिंग व संपादन करने के लिए बेहतर तरीकों को सावधानी से तैयार किया गया है। द न्यूज़ मिनट की संपादकीय टीम देश के सबसे विविध प्लेटफॉर्म में से एक है और यहां की संपादकीय नीतियों में उन आवाजों को मंच दिया जाता है, जिन्हें समाज नजरअंदाज करता आया है।
क्वीर चेन्नई क्रॉनिकल्स (क्यूसीसी) एक स्वतंत्र प्रकाशन संस्थान और साहित्यिक मंच है। क्यूसीसी की शुरुआत एलजीबीटीक्यूआईए+ लेखकों और अनुवादकों को प्रमुखता देने के साथ मौजूदा साहित्यिक जगत और मीडिया रिपोर्टिंग को क्वीर समावेशी बनाने के उद्देश्य से की गई थी। क्यूसीसी भारत के पहले क्वीर लिटफेस्ट के आयोजक हैं, जो क्वीर साहित्यकारों और उनके सहयोगियों को एक साथ लाता है। क्यूसीसी रिपोर्टिंग के साथ कार्यस्थल पर समावेशन रणनीतियों को बनाने और उसका कार्यान्वयन करने के लिए कई मीडिया हाउस व निगम (कॉरपोरेशन) के साथ भी काम करता है।
क्वीरबीट एक स्वतंत्र सहयोगी पत्रकारिता पहल है, जो भारत में एलजीबीटीक्यूआईए+ लोगों के बारे में सार्वजनिक नजरिए को बदलने के प्रयास पर केंद्रित है। इसमें ऐतिहासिक रूप से वंचित क्वीयर लोगों व उनकी आवाज को गहराई के साथ व सही तरीके से कवर किया जाता है। यह क्वीर पत्रकारों और संपादकों का एक समूह है, जो एलजीबीटीक्यूआईए+ लोगों की बोल्ड, इंटरसेक्शनल और सही कवरेज पेश करने के लिए न्यूज़रूम्स के साथ सहयोग करते हैं। हमारा लक्ष्य भारतीय मीडिया और उसकी कवरेज को क्वीर समावेशी बनाना है।